हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, 13 नवंबर 2025 को हिंदुस्तान में जामेअत-उल-मुस्तफ़ा अल-आलमिया के नमायंदे, हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन सैयद कमाल हुसैनी ने जामिया बाब-उल-इल्म, नौगांव सादात में तुल्लाब और असातिज़ा के दरमियान एक अहम दर्स-ए-अख़लाक़ पेश किया। इस दर्स का मरकज़ी मौज़ू तवक्कुल के फ़वायद था, जिसमें उन्होंने तवक्कुल की हक़ीक़त, उसके अमली समरात और रूहानी असरात पर तफ़सीली गुफ़्तगू की।
हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन सैयद कमाल हुसैनी ने अपने ख़िताब में कहा कि तवक्कुल इंसान के दिल को सुकून अता करता है, किरदार में मज़बूती लाता है और मुश्किलात के मुक़ाबले में सब्र व इस्तेक़ामत की क़ूवत फ़राहम करता है। उन्होंने शरक़ा को बताया कि अल्लाह पर मुकम्मल भरोसा और उसकी तक़दीर पर ईमान, ज़िंदगी की हर परेशानी का यक़ीनी हल प्रदान करता है।
दर्स के दौरान उन्होंने मुतअद्दिद अमली मिसाले, क़ुरआनी आयात और सीरत-ए-मासूमीन (अ) से शवाहिद पेश किए जिनसे वाज़ेह होता है कि रोज़मर्रा ज़िंदगी में तवक्कुल किस तरह ज़िंदगी के रुख़ को बदल देता है। उन्होंने अपने तजुर्बात भी बयान किए और बताया कि तवक्कुल ने उनकी ज़िंदगी में रूहानी, फ़िक्री और अमली मैदानों में ग़ैर-मामूली तबदीली पैदा की।
हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन सैयद कमाल हुसैनी ने तवक्कुल के फ़वायद का ज़िक्र करते हुए कहा:
पहला फ़ायदा: तवक्कुल का पहला दायरा सुकून व इतमिनान का हासिल है। तवक्कुल इंसान के दिल में ऐसा इतमिनान पैदा करता है कि वह अपनी ज़िम्मेदारियां बेहतर अंदाज़ में अंजाम देता है। ख़ुदा पर भरोसा रखने वाला अपने आमाल के नतीजों की फ़िक्र से आज़ाद रहता है, क्योंकि उसे यक़ीन होता है कि ख़ुदा उसके उमूर को ज़ाया नहीं करेगा।
दूसरा फ़ायदा: ख़ुदा की जानिब से हिमायत व किफ़ायत, यानी तवक्कुल करने वाले के लिए ख़ुदा की नुसरत और किफ़ायत शामिल-ए-हाल रहती है।
तीसरा फ़ायदा: शैतानी असरात से हिफ़ाज़त, यानी जो शख़्स ख़ुदा पर भरोसा करता है, शैतान उस पर मुसल्लत नहीं हो पाता।
चौथा फ़ायदा: मुश्किलात में आसानी, यानी मुतवक्किल की ज़िंदगी के मसाइल और रुकावटें ख़ुदा की तरफ़ से आसान कर दी जाती हैं।
उन्होंने इन तमाम नुक्तों पर क़ुरआन करीम की आयात और रिवायत-ए-मासूमीन (अ) की रोशनी में दिलनशीन तौज़ीहात पेश कीं۔
क़ाबिल-ए-ज़िक्र है कि इस दर्स-ए-अख़लाक़ से मुतअद्दिद मआरूफ़ हौज़ात-ए-इल्मिया और इदारों के उलेमा, असातिज़ा और तुल्लाब ने इस्तेफ़ादा किया, जिनमें शामिल हैं:
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जामिया अल-मुन्तज़िर, नौगांव सादात
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हौज़ा इल्मिया इमाम हसन अस्करी (अ), कानूदर गुजरात
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हौज़ा इल्मिया ग़ुफ़रान मआब, लखनऊ
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जामिया नूर-उल-हुदा, मुंबई
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मदरसा इमाम जाफ़र सादिक़ (अ), मुंबई
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जामिया इमाम मूसा काज़िम (अ), नागपुर
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जामिया ज़ैनबिया, कामटी नागपुर
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हौज़ा इल्मिया ज़ैनबिया, लखनऊ
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जामिया इमामिया, तंजीम-उल-मक़ातिब लखनऊ
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जामेअत-उज़-ज़हरा, तंजीम-उल-मक़ातिब लखनऊ
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जामिया बाब-उल-इल्म, बडगाम कश्मीर
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जामिया ख़दीजत-उल-कुबरा, श्रीनगर कश्मीर
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जामिया ख़दीजत-उल-कुबरा, सीतापुर
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जामिया अबूतालिब, सीतापुर
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मदरसा वल-फज्र, कश्मीर
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जामिया फ़ातिमिया, कश्मीर
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जामिया इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ), पुंछ
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जामिया इमाम जाफ़र सादिक़ (अ), जौनपुर
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बाब-उल-इल्म, मुबारकपुर
इसके अलावा कई मुतअद्दिद उलेमा और फ़ारिग़-उत्तहसीलान ने भी इस दर्स से भरपूर फ़ायदा उठाया, जिनकी मजमूई तादाद हज़ार से ज़्यादा बताई जाती है।
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